Wednesday, July 1, 2009

मूर्खों की दुनिया

मित्रों, मूर्खों की एक अलग दुनिया है और यह दुनिया हम सब की दुनिया से बहुत बड़ी है। ...और हम उसी दुनिया के बीच कहीं बसते हैं। मैं पहली बार दिल्ली गया था तब एक ऑटो वाले ने तय किराए से ज्यादा की मांग की थी और मैंने कहा था कि मीटर में यह चोरी क्यों करते हो? उसने बड़ी सहजता से कहा था कि बाबू...यह दिल्ली है, यहां छोटे से लेकर बड़े तक रहते हैं...मैं छोटा हूं तो मुझसे पूछ रहे हो...बड़े वाले से भी पूछने की हिम्मत है क्या? मूर्खों की दुनिया से आपको परिचित कराने के लिए यह ब्लॉग शुरु किया है....इंतजार कीजिए ब्लॉगिंग का!

1 comment:

  1. Acha murkh banaya aapne...3 saal me ek bhi post nahi..wah...sikhe koi aapse murkh banana..thoda time nikal ke posting kar hi dijiye..pata to chale murk asal me ham hi hai ya duniya pati padi hai aise logo se..!!

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